Where is Tajmahel ?
भारत के उत्तर प्रदेश के आगरा शहर में यमुना नदी के किनारे बसा है ताजमहल. इसका निर्माण मुग़ल शासक शाहजहां ने अपनी पत्नी मुमताज़ महल की याद में बनवाया था.
कौन थी मुमताज़ महल ? (Infomation About Mumtaj Mahal Story)
मुमताज़ महल (1 सितम्बर 1593 – 17 जून 1631) परसिया देश की राजकुमारी थी, जिन्होने भारत के मुग़ल शासक शाहजहाँ से निकाह किया. मुमताज़ महल शाहजहाँ की सबसे चहेती पत्नी थी. वह मुमताज़ महल से बहुत प्रेम करते थे. सन 1631 में 37 वर्ष की उम्र में अपनी 14वीं संतान गौहरा बेगम को जन्म देते वक़्त मुमताज़ महल ने अपना दम तोड़ दिया.
ताजमहल के निर्माण का इतिहास : (History of Taj Mahal)
ताजमहल के निर्माण का श्रेय पांचवें मुग़ल शासक शाहजहाँ को जाता है. शाहजहाँ ने भारत पर 1628 से 1658 तक शासन किया. शाहजहाँ ने अपनी सभी पत्नियों में प्रिय पत्नी मुमताज़ महल की याद में ताजमहल का निर्माण करवाया.
ताजमहल को “मुमताज़ का मकबरा” भी कहते हैं.Taj mahel ko Mumtaj ka makbara bhi kehte he. मुमताज़ महल की मृत्यु के बाद शाहजहाँ बहुत गमगीन हो गए. तब उन्होने अपने प्रेम को जिंदा रखने के लिए अपनी पत्नी की याद में ताजमहल बनवाने का निर्णय लिया.
1631 के बाद ही शाहजहाँ ने आधिकारिक रूप से ताजमहल का निर्माण कार्य की घोषणा की तथा 1632 में ताजमहल का निर्माण कार्य शुरू कर दिया.
ताजमहल के निर्माण में काफी समय लगा. वैसे तो इस मकबरे का निर्माण 1643 में ही पूरा हो गया था, परंतु इसके सभी पहलुओं के काम करते करते इसे बनाने में लगभग दस साल और लग गए.
सम्पूर्ण ताजमहल का निर्माण 1653 में लगभग 320 लाख रुपये की लागत में हुआ, जिसकी आज की कीमत 52.8 अरब रुपये (827 मिल्यन डॉलर) है.
इसके निर्माण में 20,000 कारीगरों ने मुग़ल शिल्पकार उस्ताद अहमद लाहौरी के अधीन कार्य किया. कहते हैं कि इसके निर्माण के बाद शाहजहाँ ने अपने सभी कारीगरों के हाथ कटवा दिये.
ताजमहल की संरचना तथ प्रारूप (Architecture of Taj Mahal) :
ताजमहल की संरचना (Architecture) परसिया तथा प्राचीन मुग़ल कला पर आधारित है.
परसिया राजवंश की कला तथा कई मुग़ल भवन गुर-ए-आमिर, हुमायूँ का मकबरा, इतमादूद – दौलाह का मकबरा और शाहजहाँ की दिल्ली की जामा मस्जिद जैसे भवन ताजमहल के निर्माण कला का आधार है.
मुग़ल शासन काल के दौरान लगभग सभी भवन के निर्माण में लाल पत्थरों का उपयोग किया गया, परंतु ताजमहल के निर्माण के लिए शाहजहाँ ने सफ़ेद संगमरमर को चुना.
इन सफ़ेद संगमरमर पर कई प्रकार की नक्काशी तथा हीरे जड़ कर ताजमहल की दीवारों को सजाया गया.
ताजमहल के निर्माण का श्रेय पांचवें मुग़ल शासक शाहजहाँ को जाता है. शाहजहाँ ने भारत पर 1628 से 1658 तक शासन किया. शाहजहाँ ने अपनी सभी पत्नियों में प्रिय पत्नी मुमताज़ महल की याद में ताजमहल का निर्माण करवाया.
ताजमहल को “मुमताज़ का मकबरा” भी कहते हैं.Taj mahel ko Mumtaj ka makbara bhi kehte he. मुमताज़ महल की मृत्यु के बाद शाहजहाँ बहुत गमगीन हो गए. तब उन्होने अपने प्रेम को जिंदा रखने के लिए अपनी पत्नी की याद में ताजमहल बनवाने का निर्णय लिया.
1631 के बाद ही शाहजहाँ ने आधिकारिक रूप से ताजमहल का निर्माण कार्य की घोषणा की तथा 1632 में ताजमहल का निर्माण कार्य शुरू कर दिया.
ताजमहल के निर्माण में काफी समय लगा. वैसे तो इस मकबरे का निर्माण 1643 में ही पूरा हो गया था, परंतु इसके सभी पहलुओं के काम करते करते इसे बनाने में लगभग दस साल और लग गए.
सम्पूर्ण ताजमहल का निर्माण 1653 में लगभग 320 लाख रुपये की लागत में हुआ, जिसकी आज की कीमत 52.8 अरब रुपये (827 मिल्यन डॉलर) है.
इसके निर्माण में 20,000 कारीगरों ने मुग़ल शिल्पकार उस्ताद अहमद लाहौरी के अधीन कार्य किया. कहते हैं कि इसके निर्माण के बाद शाहजहाँ ने अपने सभी कारीगरों के हाथ कटवा दिये.
ताजमहल की संरचना तथ प्रारूप (Architecture of Taj Mahal) :
ताजमहल की संरचना (Architecture) परसिया तथा प्राचीन मुग़ल कला पर आधारित है.
परसिया राजवंश की कला तथा कई मुग़ल भवन गुर-ए-आमिर, हुमायूँ का मकबरा, इतमादूद – दौलाह का मकबरा और शाहजहाँ की दिल्ली की जामा मस्जिद जैसे भवन ताजमहल के निर्माण कला का आधार है.
मुग़ल शासन काल के दौरान लगभग सभी भवन के निर्माण में लाल पत्थरों का उपयोग किया गया, परंतु ताजमहल के निर्माण के लिए शाहजहाँ ने सफ़ेद संगमरमर को चुना.
इन सफ़ेद संगमरमर पर कई प्रकार की नक्काशी तथा हीरे जड़ कर ताजमहल की दीवारों को सजाया गया.
ताजमहल के विभिन्न हिस्से : (Sections of Taj Mahal)
ताजमहल के निर्माण में मुमताज़ महल का मकबरा मुख्य है. इसके मुख्य कक्ष में शाहजहाँ तथा मुमताज़ महल की नकली कब्र मौजूद है. इन्हें बहुत ही अच्छे ढंग से सजाया गया है. इनकी असली कब्र सबसे निचले तल पर स्थित है. इस मकबरे को बनाने के लिए ताजमहल के ऊपर गुंबद, गुंबद की छतरी तथा मीनार का निर्माण किया गया. तो आइये विस्तार से जानते हैं ताजमहल के इन सभी हिस्सों को.
(1) Taj mahel ka मकबरा :
सम्पूर्ण ताजमहल का केंद्र है मुमताज़ महल का मकबरा. यह बड़े बड़े, सफ़ेद संगमरमर का बना है. इस मकबरे के ऊपर बहुत बड़ा गुंबद इसकी शोभा बढ़ा रहा है.
मुमताज़ का मकबरा लगभग 42 एकड़ में फैला हुआ है. यह चारों तरफ से बगीचे से घिरा हुआ है. इसके तीन ओर से दीवार बनाई गयी है.
इस मकबरे की नींव वर्गाकार है. वर्गाकार के प्रत्येक किनारे 55 मीटर के हैं. असल में इस इमारत का आकार अष्टकोण (8 कोणों वाला) है, परंतु इसके आंठ कोणों की दीवारें बाकी के चार किनारों से बहुत चोटी है, इसलिए इस इमारत की नींव का आकार वर्ग जैसा माना जाता है.
मकबरे की चार मीनार इमारत का चौखट बनती हुई दिखाई देती है.
(2) Taj mahel ka गुंबद :
मुमताज़ महल के मकबरे के शिखर ( सबसे ऊपर) पर सफ़ेद संगमरमर के गुंबद मौजूद है. यह गुंबद एक उल्टे कलश के जैसा शोभित है.
गुंबद पर किरीट कलश स्थित है. यह कलश फारसी तथा हिन्दू वस्तु कला का मुख्य तत्व है.
(3) Taj mahel ki छतरियाँ :
गुंबद को सहारा देने के लिए इसके चारों ओर छोटे गुंबद के आकार की छतरियाँ बनाई गयी है. इनके आधार से मुमताज़ महल के मकबरे पर रोशनी पड़ती है.
(4) Taj mahel ka कलश :
1800 ई. में ताजमहल के शिखर गुंबद पर स्थित कलश सोने का बना हुआ था, परंतु अब इसे कांसे के द्वारा निर्मित किया गया है.
इस कलश पर चंद्रमा की आकृति है, जिसकी ऊपरी आकृति स्वर्ग की ओर इशारा करती है. चंद्रमा की आकृति तथा कलश की नोंक मिल कर त्रिशूल का आकार बनाती है, यह त्रिशूल हिन्दू मान्यता के भगवान शिव का चिन्ह को दर्शाता है.
(5) Taj mahel ke मीनार :
ताजमहल के चारों कोनों पर 40 मीटर ऊंची चार मीनारें हैं. जैसे मस्जिद में अजान देने के लिए मीनारें होती हैं, उसी प्रकार ताजमहल की मीनारों का भी निर्माण किया गया है.
इन चारों मीनारों का निर्माण कुछ इस तरह किया गया है कि यह चारों मीनार हल्की सी बाहर की तरफ झुकी हुई हैं. इनका बाहर की तरफ झुकाव के पीछे यह तर्क रखा गया कि, इमारत के गिरने की स्थिति में यह मीनारें बाहर की तरफ ही गिरे, जिससे की मुख्य ताजमहल की इमारत को कोई नुकसान न पहुंचे.
(6) ताजमहल के लेख :
जैसे ही आप ताजमहल के द्वार से ताजमहल में प्रवेश करते हैं, आप एक अलग ही शांति का अनुभव करते हैं. इसके द्वार पर बहुत ही सुंदर सुलेख है, “हे आत्मा ! तू ईश्वर के पास विश्राम कर, ईश्वर के पास शांति के साथ रहे तथा उसकी पूर्ण शांति तुझ पर बरसे.”
ताजमहल में मौजूद लेख फ्लोरिड ठुलूठ लिपि में लिखे गए हैं.
इन लेख का श्रेय फारसी लिपिक अमानत खां को जाता है.
यह लेख जेस्पर को सफ़ेद संगमरमर के फलकों में जड़ कर लिखा गया है.
ताजमहल में लिखे लेख में कई सूरा वर्णित है. यह सूरा कुरान में मौजूद है.
इस सूरा में कुरान की कई आयतें मौजूद है.
(7) Taj mahel ki बाहरी सजावट :
ताजमहल बहुत ही सुंदर कृति है. यह मुग़ल वास्तुकला का अप्रतिम उदाहरण है. इसे विभिन्न नक्काशी एवं रत्नों को जड़ कर निर्मित किया गया है.
(8) Taj mahel ka विश्व धरोहर :
ताजमहल पूरे विश्व का सबसे पसंदीदा पर्यटन स्थलों में से एक है. यह हर वर्ष लगभग सात से आंठ लाख पर्यटकों को अपनी ओर आकर्षित करता है. यह भारत सरकार का पर्यटन से होने वाली आय का मुख्य स्त्रोत है. इसे देखने विश्वभर से कई देशों के लोग आते हैं. 2007 में नए सात अजूबों में ताजमहल ने फिर एक बार अपनी जगह बनाई.
(9) अम्ल वर्षा एवं अम्ल वर्षा का प्रभाव ( Acid Rain and Effects of Acid Rain on Taj Mahal) :
आजकल मानव जीवन तथ मानव निर्मित इमारतों पर पर अम्ल वर्षा का दुष्प्रभाव होने लगा है. ताजमहल भी इसके प्रभाव से अनछुआ नहीं रहा है.
आइये पहले जाने की अम्ल वर्षा क्या होती है
?
सामान्यतः पानी का ph मान 5.6 होता है. परंतु जब पानी में सल्फर तथा नाइट्रोजन के ओक्साइड्स (oxides) मिल जाते हैं तब पानी का ph मान 5.6 से कम होने लगता है. इस स्थिति में जब वर्षा होती है, तब वर्षा का जल इन ओक्साइड्स के साथ रासायनिक क्रिया करता है तथा पानी के ph मान को घटा कर, पानी में एसिड (अम्ल) की मात्रा बढ़ा देता है. जो फिर अम्ल वर्षा (Acid Rain) का रूप लेता है.
ताजमहल पर अम्ल वर्षा का प्रभाव :
ताजमहल आगरा में स्थित है. आगरा में कई कारखाने तथा पावर प्लांट हैं, जिनसे कई घातक रासायनिक पदार्थ निकलते हैं. यह अम्ल हवा के साथ क्रिया कर अम्ल वर्षा में सहायक होता है. यह अम्ल वर्षा ताजमहल के संगमरमर पर गिर कर ताजमहल के संगमरमर (केल्शियम कार्बोनेट) से क्रिया करने लगती है. इस क्रिया के कारण इस अद्वितीय इमारत को हानि पहुँचती है.
अम्ल वर्षा के कारण सफ़ेद संगमरमर पीला पड़ने लगता है, जिससे ताजमहल अपना सौन्दर्य खोने लगा है. अतः अम्ल वर्षा के प्रभाव को रोकने के लिए अधिक मात्रा में पेड़ लगाने होंगे तथा कारखानों से आने वाले अम्ल को रोकना होगा.
ताजमहल के निर्माण में मुमताज़ महल का मकबरा मुख्य है. इसके मुख्य कक्ष में शाहजहाँ तथा मुमताज़ महल की नकली कब्र मौजूद है. इन्हें बहुत ही अच्छे ढंग से सजाया गया है. इनकी असली कब्र सबसे निचले तल पर स्थित है. इस मकबरे को बनाने के लिए ताजमहल के ऊपर गुंबद, गुंबद की छतरी तथा मीनार का निर्माण किया गया. तो आइये विस्तार से जानते हैं ताजमहल के इन सभी हिस्सों को.
(1) Taj mahel ka मकबरा :
सम्पूर्ण ताजमहल का केंद्र है मुमताज़ महल का मकबरा. यह बड़े बड़े, सफ़ेद संगमरमर का बना है. इस मकबरे के ऊपर बहुत बड़ा गुंबद इसकी शोभा बढ़ा रहा है.
मुमताज़ का मकबरा लगभग 42 एकड़ में फैला हुआ है. यह चारों तरफ से बगीचे से घिरा हुआ है. इसके तीन ओर से दीवार बनाई गयी है.
इस मकबरे की नींव वर्गाकार है. वर्गाकार के प्रत्येक किनारे 55 मीटर के हैं. असल में इस इमारत का आकार अष्टकोण (8 कोणों वाला) है, परंतु इसके आंठ कोणों की दीवारें बाकी के चार किनारों से बहुत चोटी है, इसलिए इस इमारत की नींव का आकार वर्ग जैसा माना जाता है.
मकबरे की चार मीनार इमारत का चौखट बनती हुई दिखाई देती है.
(2) Taj mahel ka गुंबद :
मुमताज़ महल के मकबरे के शिखर ( सबसे ऊपर) पर सफ़ेद संगमरमर के गुंबद मौजूद है. यह गुंबद एक उल्टे कलश के जैसा शोभित है.
गुंबद पर किरीट कलश स्थित है. यह कलश फारसी तथा हिन्दू वस्तु कला का मुख्य तत्व है.
(3) Taj mahel ki छतरियाँ :
गुंबद को सहारा देने के लिए इसके चारों ओर छोटे गुंबद के आकार की छतरियाँ बनाई गयी है. इनके आधार से मुमताज़ महल के मकबरे पर रोशनी पड़ती है.
(4) Taj mahel ka कलश :
1800 ई. में ताजमहल के शिखर गुंबद पर स्थित कलश सोने का बना हुआ था, परंतु अब इसे कांसे के द्वारा निर्मित किया गया है.
इस कलश पर चंद्रमा की आकृति है, जिसकी ऊपरी आकृति स्वर्ग की ओर इशारा करती है. चंद्रमा की आकृति तथा कलश की नोंक मिल कर त्रिशूल का आकार बनाती है, यह त्रिशूल हिन्दू मान्यता के भगवान शिव का चिन्ह को दर्शाता है.
(5) Taj mahel ke मीनार :
ताजमहल के चारों कोनों पर 40 मीटर ऊंची चार मीनारें हैं. जैसे मस्जिद में अजान देने के लिए मीनारें होती हैं, उसी प्रकार ताजमहल की मीनारों का भी निर्माण किया गया है.
इन चारों मीनारों का निर्माण कुछ इस तरह किया गया है कि यह चारों मीनार हल्की सी बाहर की तरफ झुकी हुई हैं. इनका बाहर की तरफ झुकाव के पीछे यह तर्क रखा गया कि, इमारत के गिरने की स्थिति में यह मीनारें बाहर की तरफ ही गिरे, जिससे की मुख्य ताजमहल की इमारत को कोई नुकसान न पहुंचे.
(6) ताजमहल के लेख :
जैसे ही आप ताजमहल के द्वार से ताजमहल में प्रवेश करते हैं, आप एक अलग ही शांति का अनुभव करते हैं. इसके द्वार पर बहुत ही सुंदर सुलेख है, “हे आत्मा ! तू ईश्वर के पास विश्राम कर, ईश्वर के पास शांति के साथ रहे तथा उसकी पूर्ण शांति तुझ पर बरसे.”
ताजमहल में मौजूद लेख फ्लोरिड ठुलूठ लिपि में लिखे गए हैं.
इन लेख का श्रेय फारसी लिपिक अमानत खां को जाता है.
यह लेख जेस्पर को सफ़ेद संगमरमर के फलकों में जड़ कर लिखा गया है.
ताजमहल में लिखे लेख में कई सूरा वर्णित है. यह सूरा कुरान में मौजूद है.
इस सूरा में कुरान की कई आयतें मौजूद है.
(7) Taj mahel ki बाहरी सजावट :
ताजमहल बहुत ही सुंदर कृति है. यह मुग़ल वास्तुकला का अप्रतिम उदाहरण है. इसे विभिन्न नक्काशी एवं रत्नों को जड़ कर निर्मित किया गया है.
(8) Taj mahel ka विश्व धरोहर :
ताजमहल पूरे विश्व का सबसे पसंदीदा पर्यटन स्थलों में से एक है. यह हर वर्ष लगभग सात से आंठ लाख पर्यटकों को अपनी ओर आकर्षित करता है. यह भारत सरकार का पर्यटन से होने वाली आय का मुख्य स्त्रोत है. इसे देखने विश्वभर से कई देशों के लोग आते हैं. 2007 में नए सात अजूबों में ताजमहल ने फिर एक बार अपनी जगह बनाई.
(9) अम्ल वर्षा एवं अम्ल वर्षा का प्रभाव ( Acid Rain and Effects of Acid Rain on Taj Mahal) :
आजकल मानव जीवन तथ मानव निर्मित इमारतों पर पर अम्ल वर्षा का दुष्प्रभाव होने लगा है. ताजमहल भी इसके प्रभाव से अनछुआ नहीं रहा है.
आइये पहले जाने की अम्ल वर्षा क्या होती है
?
सामान्यतः पानी का ph मान 5.6 होता है. परंतु जब पानी में सल्फर तथा नाइट्रोजन के ओक्साइड्स (oxides) मिल जाते हैं तब पानी का ph मान 5.6 से कम होने लगता है. इस स्थिति में जब वर्षा होती है, तब वर्षा का जल इन ओक्साइड्स के साथ रासायनिक क्रिया करता है तथा पानी के ph मान को घटा कर, पानी में एसिड (अम्ल) की मात्रा बढ़ा देता है. जो फिर अम्ल वर्षा (Acid Rain) का रूप लेता है.
ताजमहल पर अम्ल वर्षा का प्रभाव :
ताजमहल आगरा में स्थित है. आगरा में कई कारखाने तथा पावर प्लांट हैं, जिनसे कई घातक रासायनिक पदार्थ निकलते हैं. यह अम्ल हवा के साथ क्रिया कर अम्ल वर्षा में सहायक होता है. यह अम्ल वर्षा ताजमहल के संगमरमर पर गिर कर ताजमहल के संगमरमर (केल्शियम कार्बोनेट) से क्रिया करने लगती है. इस क्रिया के कारण इस अद्वितीय इमारत को हानि पहुँचती है.
अम्ल वर्षा के कारण सफ़ेद संगमरमर पीला पड़ने लगता है, जिससे ताजमहल अपना सौन्दर्य खोने लगा है. अतः अम्ल वर्षा के प्रभाव को रोकने के लिए अधिक मात्रा में पेड़ लगाने होंगे तथा कारखानों से आने वाले अम्ल को रोकना होगा.
Thank you...❤️
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