Thursday, August 2, 2018

PANDIT JAWAHARLAL NEHRU BIOGRAPHY


PANDIT JAWAHARLAL NEHRU'S BIOGRAPHY  :

  • पूरा नाम – जवाहरलाल मोतीलाल नेहरु

  • जन्म – 14 नवम्बर 1889

  • जन्मस्थान – इलाहाबाद (उत्तर प्रदेश)

  • पिता – मोतीलाल नेहरु

  • माता – स्वरूपरानी नेहरु

  • शिक्षा – 1910 में केब्रिज विश्वविद्यालय के ट्रिनटी कॉलेज से उपाधि संपादन की। 1912 में ‘इनर टेंपल’ इस लंडन कॉलेज से बॅरिस्ट बॅरिस्टर की उपाधि संपादन की।

  • विवाह – कमला के साथ (1916 में)


  • जवाहरलाल नेहरु भारत के प्रधानमंत्री और स्वतंत्रता के पहले और बाद में भारतीय राजनीती के मुख्य केंद्र बिंदु थे। वे महात्मा गांधी के सहायक के तौर पर भारतीय स्वतंत्रता अभियान के मुख्य नेता थे जो अंत तक भारत को स्वतंत्र बनाने के लिए लड़ते रहे और स्वतंत्रता के बाद भी 1964 में अपनी मृत्यु तक देश की सेवा की। उन्हें आधुनिक भारत का रचयिता माना जाता था। पंडित संप्रदाय से होने के कारण उन्हें पंडित नेहरु भी कहा जाता था। जबकि बच्चो से उनके लगाव के कारण बच्चे उन्हें “ चाचा नेहरु” के नाम से जानते थे।

वे मोतीलाल नेहरु के बेटे थे, जो एक महान वकील और राष्ट्रिय समाजसेवी थे। नेहरु ट्रिनिटी विश्वविद्यालय, कैंब्रिज से स्नातक हुए। जहा उन्होंने ने वकीली का प्रशिक्षण लिया और भारत वापिस आने के बाद उन्हें अल्लाहाबाद उच्च न्यायालय में शामिल किया गया। लेकिन उन्हें भारतीय राजनीती में ज्यादा रुचि थी और 1910 के स्वतंत्रता अभियान में वे भारतीय राजनीति में कम उम्र में ही शामिल हो गये।

1920 में भारतीय राष्ट्रिय कांग्रेस में शामिल होकर उनके महान और प्रमुख नेता बने, और बाद में पूरी कांग्रेस पार्टी ने उन्हें एक विश्वसनीय सलाहकार माना, जिनमे गांधीजी भी शामिल थे।

  • 1929 में कांग्रेस के अध्यक्ष पंडित जवाहरलाल नेहरु ने ब्रिटिश राज से सम्पूर्ण छुटकारा पाने की घोषणा की और भारत को पूरी तरह से स्वतंत्र राष्ट्र बनाने की मांग की।

नेहरु और कांग्रेस ने 1930 में भारतीय स्वतंत्रता अभियान का मोर्चा संभाला ताकि देश को आसानी से आज़ादी दिला सके। उनके सांप्रदायिक भारत की योजना को तब सभी का सहयोग मिला जब वे राष्ट्रिय कांग्रेस के मुख्य नेता थे।

इस से अलग हुई मुस्लिम लीग बहोत कमजोर और गरीब बन चुकी थी। उनके स्वतंत्रता के अभियान को तब सफलता मिली जब 1942 के ब्रिटिश भारत छोडो अभियान में ब्रिटिश बुरी तरह से पीछे रह गये और उस समय कांग्रेस को देश की सबसे सफल और महान राजनितिक संस्था माना गया था।

मुस्लिमो की बुरि हालत को देखते हुए मुहम्मद अली जिन्नाह ने मुस्लिम लीग का वर्चस्व पुनर्स्थापित किया। लेकिन नेहरु और जिन्नाह का एक दुसरे की ताकत बाटने का समझौता असफल रहा और आज़ादी के बाद 1947 में ही भारत का विभाजन किया गया।


  • 1941 में जब गांधीजी ने नेहरु को एक बुद्धिमान और सफल नेता का दर्जा दिया था उसी को देखते हुए आज़ादी के बाद भी कांग्रेस ने उन्हें ही स्वतंत्र भारत के पहले प्रधानमंत्री के रूप में चुना। प्रधानमंत्री बनने के बाद ही, उन्होंने नविन भारत बनाने के अपने स्वप्न को साकार करने के प्रयास किये।

1950 में जब भारतीय कानून के नियम बनाये गये, तब उन्होंने भारत का आर्थिक, राजनितिक, सामाजिक विकास शुरू किया। विशेषतः उन्होंने भारत को एकतंत्र से लोकतंत्र में बदलने की कोशिश की, जिसमे बहोत सारी पार्टिया हो जो समाज का विकास करने का काम करे। तभी भारत एक लोकशाही राष्ट्र बन पायेगा।


विदेश निति में जब वे दक्षिण एशिया में भारत का नेतृत्व कर रहे थे तब भारत को विश्व विकास में अभिनव को दर्शाया।

नेहरु की नेतागिरी में कांग्रेस देश की सबसे सफल पार्टी थी जिसने हर जगह चाहे राज्य हो या लोकसभा हो विधानसभा हो हर जगह अपनी जीत का परचम लहराया था। लगातार 1951, 1957, 1962 के चुनावो में जित हासिल की थी।

उनके अंतिम वर्षो में राजनितिक दबाव (1962 के सीनों-भारत युद्ध में असफलता) के बावजूद वे हमेशा ही भारतीय लोगो के दिलो में बसे रहेंगे। भारत में उनका जन्मदिन “ बालदिवस ” मनाया जाता है।

पंडित जवाहरलाल नेहरु उर्फ़ चाचा नेहरु ने अपने जीवन में कभी हार नहीं मानी थी। वे सतत भारत को आज़ाद भारत बनाने के लिए ब्रिटिशो के विरुद्ध लड़ते रहे। एक पराक्रमी सफल नेता साबित हुए। वे हमेशा गांधीजी के आदर्शो पर चलते थे। उनका हमेशा से यह मानना था की,

Thank you....❤️

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