Sunday, August 5, 2018

BOLLYWOOD ACCTER MANOJ KUMAR BIOGRAPHY :

  • BOLLYWOOD ACCTER MANOJ KUMAR BIOGRAPHY :

  • मनोज कुमार का जन्म उत्तर-पश्चिम सीमांत प्रांत (अब खैबर पख्तुन्छ्वा) पाकिस्तान के एक शहर एबटाबाद में हुआ था, जो की विभाजन पूर्व भारत का एक हिस्सा था। उनका मूल जन्म नाम हरिकिशन गिरी गोस्वामी था। जब वह 10 साल के थे, तो उनके परिवार को विभाजन के कारण जधियाला शेर खान से दिल्ली जाना पड़ा था। उनका परिवार विजय नगर, किंग्सवे कैंप में शरणार्थियों के रूप में रहा और बाद में नई दिल्ली के पुराने राजेंद्र नगर इलाके में चले गए।

  • हिंदू कॉलेज, दिल्ली विश्वविद्यालय से स्नातक होने के बाद, उन्होंने फ़िल्म उद्योग में प्रवेश करने का फैसला किया।

  • उनके अभिनय का सितारा निर्माता-निर्देशक विजय भट्ट की 1962 में प्रदर्शित क्लासिक फिल्म “हरियाली और रास्ता ” में चमका | फिल्म में उनके अपोजिट माला सिन्हा थी | दोनों की जोड़ी को दर्शको ने बेहद पसंद किया | 1964 में उनकी एक ओर सुपरहिट फिल्म “वो कौन थी” प्रदर्शित हुयी | 1965 में ही मनोज कुमार (Manoj Kumar) की एक ओर सुपरहिट फिल्म “गुमनाम ” भी प्रदर्शित हुयी | इस फिल्म में रहस्य और रोमांच के ताने-बाने , मधुर गीत-संगीत और ध्वनि का कल्पनामय इस्तेमाल किया गया था | वर्ष 1965 में ही उन्हें विजय भट्ट की फिल्म “हिमालय की गोद में ” में काम करने का मौका मिला ,जो टिकिट खिड़की पर सुपरहिट साबित हुयी |

  • 1965 में प्रदर्शित फिल्म “शहीद ” उनके सिने करियर की महत्वपूर्ण फिल्मो में शुमार की जाती है | देशभक्ति के जज्बे से परिपूर्ण इस फिल्म में उन्होंने शहीद-ए-आजम भगत सिंह की भूमिका को रुपहले पर्दे पर साकार किया | 1967 में प्रदर्शित फिल्म “उपकार ” में वह किसान की भूमिका के साथ ही जवान की भूमिका में भी दिखाई दिए | फिल्म में उनके चरित्र का नाम भारत था | बाद में मनोज कुमार (Manoj Kumar) इसी नाम से वो फिल्म इंडस्ट्री में भी मशहूर हो गये | 1970 में उनके निर्माण और निर्देशन में बनी एक ओर सुपरहिट फिल्म “पूरब और पश्चिम ” प्रदर्शित हुयी | फिल्म के जरिये उन्होंने ऐसे लोगो की कहानी दिखाई जो दौलत के लालच में अपने देश की मिटटी छोडकर पश्चिम में पलायन कर गये |

  • वर्ष 1972 में मनोज कुमार (Manoj Kumar) के सिने करियर की एक ओर महत्वपूर्ण फिल्म “शोर ” प्रदर्शित हुयी | 1974 में प्रदर्शित “रोटी कपड़ा और मकान ” उनके करियर की महत्वपूर्ण फिल्मो में शुमार की जाती है | इस फिल्म के जरिये उन्होंने समाज की अर्थव्यवस्था पर गहरी चोट की |
  • MANOJ KUMAR LUKE-UNLIKE :

  • मनोज कुमार अकसर बंद गले के कपड़े पहनना पसंद करते हैं। फिर चाहे वह कुर्ता हो या शर्ट। इसके अलावा आप मनोज कुमार के एक हाथ को अकसर उनके अपने मुंह पर रखा पाएंगे। मनोज कुमार को फ़िल्मों में रोमांस के बजाय देशभक्ति फ़िल्में करना ज्यादा भाया। मनोज कुमार ने वर्ष 1957 में बनी फ़िल्म 'फ़ैशन' के जरिए बड़े पर्दे पर क़दम रखा। प्रमुख भूमिका की उनकी पहली फ़िल्म 'कांच की गुडि़या' (1960) थी। बाद में उनकी दो और फ़िल्में पिया मिलन की आस और रेशमी रुमाल आई लेकिन उनकी पहली हिट फ़िल्म 'हरियाली और रास्ता' (1962) थी। मनोज कुमार ने वो कौन थी, हिमालय की गोद में, गुमनाम, दो बदन, पत्थर के सनम, यादगार, शोर, संन्यासी, दस नम्बरी और क्लर्क जैसी अच्छी फ़िल्मों में काम किया। उनकी आखिरी फ़िल्म मैदान-ए-जंग (1995) थी। बतौर निर्देशक उन्होंने अपनी अंतिम फ़िल्म ‘जय हिंद ’ 1999 में बनाई थी।

  • मनोज कुमार को वर्ष 1972 में फ़िल्म बेईमान के लिए सर्वश्रेष्ठ अभिनेता और वर्ष 1975 में रोटी कपड़ा और मकान के लिए सर्वश्रेष्ठ निर्देशक का फ़िल्मफेयर अवार्ड दिया गया था। बाद में वर्ष 1992 में उन्हें पद्मश्री पुरस्कार से सम्मानित किया गया। मनोज कुमार को फालके रत्न पुरस्कार से भी सम्मानित किया गया।
                           
  • Thank you...❤️

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