MILKHA SINGH BIOGRAPHY...


Milkha Singh – 


मिल्खा सिंह आज तक भारत के सबसे प्रसिद्ध और सम्मानित धावक हैं। कामनवेल्थ खेलो में भारत को स्वर्ण पदक दिलाने वाले वे पहले भारतीय है। उन्होंने रोम के 1960 ग्रीष्म ओलंपिक और टोक्यो के 1964 ग्रीष्म ओलंपिक में देश का प्रतिनिधित्व किया था। इसके साथ ही Milkha Singh ने 1958 और 1962 के एशियाई खेलो में भी स्वर्ण पदक जीता था। तभी उनको “उड़न सिख” का उपनाम दिया गया था।

पूरा नाम – मिल्खा सिंह

जन्म – 20 नवम्बर 1929

जन्मस्थान – गोविन्दपुरा, पंजाब

विवाह – निर्मल कौर से




MILKHA SINGH KI KAHANI -

1960 के रोम ओलंपिक खेलों में उन्होंने पूर्व ओलंपिक कीर्तिमान को ध्वस्त किया लेकिन पदक से वंचित रह गए। इस दौड़ के दौरान उन्होंने ऐसा राष्ट्रिय कीर्तिमान स्थापित किया जो लगभग 40 साल बाद जाकर टूटा। खेलो में उनके अतुल्य योगदान के लिये भारत सरकार ने उन्हें भारत के चौथे सर्वोच्च सम्मान पद्म श्री से भी सम्मानित किया है। पंडित जवाहरलाल नेहरू भी मिल्खा सिंह के खेल को देख कर उनकी तारीफ करते थे और उन्हें मिल्खा सिंह पर गर्व था।

मिल्खा सिंह का जन्म अविभाजित भारत के पंजाब में एक सिख राठौर परिवार में 20 नवम्बर 1929 को हुआ था। लेकिन कर्यकालिन दस्तावेजो के अनुसार उनका जन्म 17 अक्टूबर 1935 को माना जाता है। अपने माँ-बाप की कुल 15 संतानों में वह एक थे। उनके कई भाई-बहन बाल्यकाल में ही गुजर गए थे।

भारत के विभाजन के बाद हुए दंगों में मिल्खा सिंह ने अपने माँ-बाप और भाई-बहन खो दिया। अंततः वे शरणार्थी बन के ट्रेन द्वारा पाकिस्तान से दिल्ली आए। दिल्ली में वह अपनी शदी-शुदा बहन के घर पर कुछ दिन रहे। कुछ समय शरणार्थी शिविरों में रहने के बाद वह दिल्ली के शाहदरा इलाके में एक पुनर्स्थापित बस्ती में भी रहे। ऐसे भयानक हादसे के बाद उनके ह्रदय पर गहरा आघात लगा था।

अपने भाई मलखान के कहने पर उन्होंने सेना में भर्ती होने का निर्णय लिया और चौथी कोशिश के बाद सन 1951 में सेना में भर्ती हो गए। बचपन में वह घर से स्कूल और स्कूल से घर की 10 किलोमीटर की दूरी दौड़ कर पूरी करते थे। और भर्ती के वक़्त क्रॉस-कंट्री रेस में छठे स्थान पर आये थे। इसलिए सेना ने उन्हें खेलकूद में स्पेशल ट्रेनिंग के लिए चुना था। मिल्खा ने कहा था की आर्मी में उन्हें बहोत से ऐसे लोग भी मिले जिन्हें ओलिंपिक क्या होता है ये तक नही मालूम था।

MILKHA SINGH'S FEMELY -

चंडीगढ़ में मिल्खा सिंह की मुलाकात निर्मल कौर से हुई। जो 1955 में भारतीय महिला वॉलीबॉल टीम की कप्तान थी और उन्होंने 1962 में विवाह कर लिया। उनकी कुल 4 संताने है जिनमे 3 बेटिया और एक बेटा है। बेटे का नाम जीव मिल्खा सिंह है।

1999 में उन्होंने सात साल के एक बेटे को गोद ले लिया। जिसका नाम हविलदार बिक्रम सिंह था। जो टाइगर हिल के युद्ध में शहीद हो गया था।

CAREER OF MILKHA SINGH -

सेना में उन्होंने कड़ी मेहनत की और 200 मी और 400 मी में अपने आप को स्थापित किया और कई प्रतियोगिताओं में सफलता हांसिल की। उन्होंने सन 1956 के मेर्लबोन्न ओलिंपिक खेलों में 200 और 400 मीटर में भारत का प्रतिनिधित्व किया पर अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर अनुभव न होने के कारण सफल नहीं हो पाए। लेकिन 400 मीटर प्रतियोगिता के विजेता चार्ल्स जेंकिंस के साथ हुई मुलाकात ने उन्हें न सिर्फ प्रेरित किया बल्कि ट्रेनिंग के नए तरीकों से अवगत भी कराया।

इसके बाद सन 1958 में कटक में आयोजित राष्ट्रिय खेलों में उन्होंने 200 मी और 400 मी प्रतियोगिता में राष्ट्रिय कीर्तिमान स्थापित किया और एशियन खेलों में भी इन दोनों प्रतियोगिताओं में स्वर्ण पदक हासिल किया। साल 1958 में उन्हें एक और महत्वपूर्ण सफलता मिली जब उन्होंने ब्रिटिश राष्ट्रमंडल खेलों में 400 मीटर प्रतियोगिता में स्वर्ण पदक हासिल किया। इस प्रकार वह राष्ट्रमंडल खेलों के व्यक्तिगत स्पर्धा में स्वर्ण पदक जीतने वाले स्वतंत्र भारत के पहले खिलाडी बन गए।

इसके बाद उन्होंने सन 1960 में पाकिस्तान प्रसिद्ध धावक अब्दुल बासित को पाकिस्तान में पिछाडा जिसके बाद जनरल अयूब खान ने उन्हें ‘उड़न सिख’ कह कर पुकारा। 1 जुलाई 2012 को उन्हें भारत का सबसे सफल धावक माना गया जिन्होंने ओलंपिक्स खेलो में लगभग 20 पदक अपने नाम किये है। यह अपनेआप में ही एक रिकॉर्ड है।

REALLY MILKHA SINGH WAS A FLYING JATT.

Thank you...❤️
MILKHA SINGH BIOGRAPHY... MILKHA SINGH BIOGRAPHY... Reviewed by Unknown on July 28, 2018 Rating: 5

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